E20 पेट्रोल भारत सरकार ने पेट्रोल में 20% एथेनॉल मिलाने का लक्ष्य 2030 तक तय किया था लेकिन इसे समय से पांच साल पहले ही हासिल कर लिया गया है अब देशभर में E20 पेट्रोल उपलब्ध है इसके बाद सबसे बड़ा सवाल गाड़ी मालिकों के मन में यही है कि क्या इससे माइलेज घट जाएगा क्या पुरानी गाड़ियों को नुकसान होगा और क्या यह वाकई पर्यावरण के लिए फायदेमंद साबित होगा।
सरकार का दावा है कि E20 पेट्रोल से गाड़ियों के माइलेज पर केवल 1 से 2 प्रतिशत का असर पड़ेगा जबकि ऑटो एक्सपर्ट्स का मानना है कि असली सड़कों पर यह असर 5 से 6 प्रतिशत तक हो सकता है यानी अगर आपकी गाड़ी अभी 40 किलोमीटर प्रति लीटर का माइलेज देती है तो E20 पेट्रोल के साथ यह घटकर 37 किलोमीटर तक रह सकती है हालांकि 2023 के बाद बनी नई गाड़ियां पहले से ही इस फ्यूल के हिसाब से डिजाइन की गई हैं इसलिए उन पर कोई बड़ा असर नहीं होगा।
वहीं पुरानी गाड़ियों के इंजन और रबर पार्ट्स पर नुकसान की आशंका जताई जा रही है इस आर्टिकल में हम विस्तार से जानेंगे कि E20 पेट्रोल क्या है यह कैसे काम करता है इसका असर माइलेज और इंजन पर कितना है और आखिरकार इससे पर्यावरण और भारत की अर्थव्यवस्था को क्या फायदा होगा।
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E20 पेट्रोल क्या है ?
E20 पेट्रोल का अर्थ है ऐसा पेट्रोल जिसमें 20 प्रतिशत तक एथेनॉल मिलाया गया हो यहां ‘E’ का मतलब Ethanol और ‘20’ का मतलब 20 प्रतिशत है यह कोई नया प्रयोग नहीं है क्योंकि ब्राज़ील जैसे देश 1970 के दशक से ही 20 से 25 प्रतिशत एथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल का उपयोग कर रहे हैं।
अमेरिका और यूरोप जैसे देशों में भी अलग-अलग अनुपात में एथेनॉल मिलाकर पेट्रोल बेचा जाता है भारत ने भी साल 2003 में Ethanol Blended Petrol Program शुरू किया था उस समय लक्ष्य था कि पेट्रोल में 5 प्रतिशत एथेनॉल मिलाया जाए यह प्रयोग सफल हुआ तो सरकार ने इसे 10 प्रतिशत तक बढ़ाया और अब यह 20 प्रतिशत तक पहुंच गया है।

एथेनॉल कैसे बनता है ?
एथेनॉल पेट्रोल की तरह जमीन से नहीं निकलता बल्कि इसे गन्ने और मक्के जैसी फसलों से तैयार किया जाता है इस प्रक्रिया में गन्ने या खराब मक्के को बैक्टीरिया और जीवाणुओं की मदद से फर्मेंटेशन के जरिए सड़ाया जाता है इसके बाद एथेनॉल प्राप्त होता है इसका फायदा यह है कि यह नवीकरणीय स्रोत है और पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने में मदद करता है यही वजह है कि सरकार एथेनॉल ब्लेंडिंग को बढ़ावा दे रही है।

E20 पेट्रोल से माइलेज पर असर
गाड़ियों का माइलेज घटने की चर्चा सबसे ज्यादा हो रही है सरकार का कहना है कि E20 पेट्रोल से गाड़ियों के माइलेज पर केवल 1 से 2 प्रतिशत का असर होगा लेकिन ऑटो एक्सपर्ट्स का मानना है कि असली सड़कों पर यह असर ज्यादा होगा और गाड़ी का माइलेज 5 से 6 प्रतिशत तक कम हो सकता है।
उदाहरण के लिए अगर कोई गाड़ी 40 किलोमीटर प्रति लीटर का माइलेज देती है तो अब यह घटकर लगभग 37 किलोमीटर तक रह सकती है इसका कारण है कि एथेनॉल की ऊर्जा क्षमता पेट्रोल के मुकाबले कम होती है पेट्रोल जलने पर ज्यादा ऊर्जा पैदा करता है जबकि एथेनॉल जलने पर कम ऊर्जा पैदा करता है यही वजह है कि गाड़ी को उतनी ही दूरी तय करने के लिए अधिक फ्यूल की खपत करनी पड़ती है।

क्या इंजन को नुकसान होगा?
यह सवाल भी गाड़ी मालिकों के मन में है कि क्या E20 पेट्रोल से इंजन को नुकसान होगा दरअसल 2023 के बाद बनी गाड़ियां BS6-II मानकों के हिसाब से डिजाइन की गई हैं और ये पहले से E20 पेट्रोल के अनुकूल हैं इसलिए नई गाड़ियों को कोई बड़ी समस्या नहीं होगी।
लेकिन पुरानी गाड़ियां जिनके इंजन केवल E10 पेट्रोल तक सपोर्ट करते हैं उनमें समस्याएं आ सकती हैं एथेनॉल की हाईग्रोस्कोपिक नेचर की वजह से यह नमी पकड़ लेता है जिससे इंजन और रबर पार्ट्स पर जंग लग सकती है इसका असर गाड़ी के परफॉर्मेंस पर पड़ता है और लंबे समय में इंजन जल्दी खराब हो सकता है एक्सपर्ट्स का कहना है कि पुरानी गाड़ियां अगर E20 पर 20 से 25 हजार किलोमीटर तक चलेंगी तो उनका परफॉर्मेंस स्पष्ट रूप से घट जाएगा।