EV Charging System: भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) को तेजी से अपनाने के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने चार्जिंग सिस्टम को मोबाइल चार्जर की तरह एक जैसा बनाने की जरूरत पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि जब तक चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में समानता नहीं होगी तब तक ग्राहकों और कंपनियों दोनों के लिए EV का इस्तेमाल आसान नहीं होगा गडकरी ने RMI और MoRTH द्वारा आयोजित सम्मेलन में स्पष्ट किया कि EV को लंबे समय तक सफल बनाने के लिए सिर्फ सब्सिडी पर निर्भर नहीं रहा जा सकता।
बल्कि असली मजबूती प्रतिस्पर्धा कम कीमत और बढ़ती मांग से आएगी उन्होंने ट्रकों और बसों के विद्युतीकरण पर भी जोर दिया और बताया कि भारत में करीब 41 लाख ट्रक प्रदूषण का बड़ा कारण हैं लेकिन इलेक्ट्रिक ट्रकों की संख्या फिलहाल बहुत कम है एक्सपर्ट्स का मानना है कि सीमेंट स्टील खनन और ई-कॉमर्स जैसे सेक्टर्स से EV ट्रकों की शुरुआत आसान हो सकती है ICCT की रिपोर्ट के मुताबिक 2030 तक भारत को 1.3 लाख इलेक्ट्रिक ट्रक और 9 गीगावॉट चार्जिंग नेटवर्क की जरूरत होगी अगर EV को सच में सफल बनाना है तो अभी से यूनिवर्सल चार्जिंग स्टैंडर्ड और बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना बेहद जरूरी है।
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EV Charging System पर गडकरी
दोस्त सोचो जब मोबाइल फोन के चार्जर अलग-अलग होते थे तो कितना झंझट होता था। हर ब्रांड का अपना चार्जर कहीं ट्रैवल करो तो अलग अडॉप्टर चाहिए लेकिन जब एक जैसे चार्जिंग पोर्ट आ गए तो सब आसान हो गया अब नितिन गडकरी यही उदाहरण इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए दे रहे हैं उनका कहना है कि अगर EV चार्जिंग सिस्टम को भी एक जैसा बना दिया जाए तो न सिर्फ कंपनियों का खर्च बचेगा बल्कि ग्राहकों को भी सुविधा होगी वरना अलग-अलग चार्जर और तकनीक की वजह से EV अपनाना मुश्किल हो जाएगा।
उद्योग जगत के लिए सीधा संदेश
गडकरी ने ये बातें रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट (RMI) और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) के एक कार्यक्रम में कहीं उन्होंने साफ कहा कि EV का भविष्य तभी मजबूत होगा जब कंपनियाँ मिलकर चार्जिंग सिस्टम को मानकीकृत करें वरना आज जैसी स्थिति है उसमें अलग-अलग चार्जिंग तकनीकें अपनाने से निवेश बढ़ेगा और ग्राहकों को भी असुविधा होगी उन्होंने ये भी जोड़ा कि सब्सिडी पर निर्भर रहने से कुछ समय मदद मिल सकती है लेकिन लंबे वक्त में EV को टिकाए रखने के लिए असली गेम कम कीमत ज्यादा प्रतिस्पर्धा और मांग बढ़ने से ही चलेगा।
सिर्फ इलेक्ट्रिक नहीं हर ग्रीन एनर्जी पर ध्यान
गडकरी का कहना है कि भारत का भविष्य सिर्फ इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर नहीं टिका है हमें हाइड्रोजन ट्रक फ्लैश चार्जिंग वाली इलेक्ट्रिक बसें और बायोफ्यूल जैसे विकल्पों पर भी ध्यान देना होगा उनका मानना है कि देश को हर स्थिति और हर सेक्टर के हिसाब से ग्रीन एनर्जी के कई रास्ते अपनाने होंगे अगर कोई तकनीक सस्ती और व्यवहारिक होगी तभी उसका बड़े स्तर पर उपयोग हो पाएगा आखिरकार बिज़नेस वही तकनीक अपनाते हैं जिसमें उन्हें मुनाफा दिखे इसीलिए EV का रास्ता आसान बनाने के लिए टेक्नोलॉजी को पॉपुलर बनाना होगा।
ट्रक सेक्टर के लिए भी शरू
अब जरा सोचो भारत में लगभग 41 लाख ट्रक चलते हैं और ये अकेले ही परिवहन से होने वाले कुल प्रदूषण का 40% हिस्सा हैं यहाँ EV की सबसे ज्यादा ज़रूरत है लेकिन हकीकत ये है कि आज हमारी सड़कों पर 1,000 से भी कम इलेक्ट्रिक ट्रक मौजूद हैं बसों में धीरे-धीरे विद्युतीकरण हो रहा है लेकिन ट्रक सेक्टर अभी पीछे है यही वजह है कि गडकरी और इंडस्ट्री के लोग मानते हैं कि अगर EV ट्रकों को बढ़ाना है तो पहले ऐसे सेक्टर्स से शुरुआत करनी होगी जहाँ डेली मूवमेंट पहले से तय और आसान हो।
किन सेक्टर्स से हो शुरुआत
इंडस्ट्री के विशेषज्ञ मानते हैं कि शुरुआत उन क्षेत्रों से करनी चाहिए जहाँ ट्रकों का इस्तेमाल नियमित रूट और तय समय पर होता है जैसे सीमेंट उद्योग स्टील कंपनियाँ खनन सेक्टर बंदरगाह और ई-कॉमर्स इन जगहों पर ट्रकों की मूवमेंट कैप्टिव प्लांट्स या तय गलियारों में होती है मतलब चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना आसान होगा और मांग भी सुनिश्चित रहेगी ऐसे सेक्टर्स में इलेक्ट्रिक ट्रक तेजी से अपनाए जा सकते हैं और फिर धीरे-धीरे पूरे देश में इसका विस्तार होगा।


